गुरुदेव ने यक्ष को कभी इतना बेचैन नहीं देखा था। दैनिक कर्म से निबटकर गुरूवर कुटिया के बाहर पीपल पेङ के नीचे बने आसन पर बैठकर...
यक्ष दौङता दौङता गुरूजी के पास पहुंचा तो गुरूजी आंखें बंद किये ध्यानावस्था में थे। यक्ष ने गुरूजी को डिस्टर्ब ना करने के ख्याल से पास...