देश
गांधी शांति प्रतिष्ठान में हत्यारे ब्रहमेश्वर मुखिया पर कार्यक्रम, सोशल मीडिया पर बवाल

पिछले दिनों गांधी शांति प्रतिष्ठान में हत्यारे ब्राहमेश्वर मुखिया की स्मृति में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लोग सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ लिख रहे हैं। हालांकि, संस्थान की तरफ से सफाई भी आ गयी है।
मुकेश ने लिखा है –
सरकारी गांधीवादी संस्था-गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, नई दिल्ली ने गांधी के हत्यारों को महिमामंडित करने वाले संगठन विश्व हिंदू परिषद को अपने परिसर में कार्यक्रम की इजाजत दी। और जितने दिनों तक परिषद का कार्यक्रम चलता रहा, उतने दिनों तक के लिए गांधी समाधि का गेट आमलोगों के लिए बंद कर दिया गया। इसका विरोध हुआ। विरोध जायज था। गांधी समाधि को दो दिनों तक बंद रखा जाना और गांधी के नाम पर बनी संस्था में साम्प्रदायिक नफरत फैलाने व गांधी के हत्यारे को महिमामंडित करने वाले संगठन को कार्यक्रम की अनुमति दिया जाना गांधी का अपमान करने जैसा है।
अभी यह मामला थमा भी न था कि मठाधीश गांधीवादी संस्था-गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली द्वारा कुख्यात रणवीर सेना के सरगना ब्रह्मेश्वर मुखिया को महिमामंडित करने वालों को कार्यक्रम की अनुमति देने का मामला सामने आ गया। यह वही ब्रह्मेश्वर मुखिया है, जिसके द्वारा बनाये गए संगठन -रणवीर सेना ने बिहार में एक दर्जन से ज्यादा नरसंहार मचाया था। जिसमें दो सौ से अधिक दलितों-वंचितों की निर्मम हत्या की गई थी। इस मामले के सामने आने पर संस्था की ओर से सफाई भी पेश की गई। सरकारी निधि पर चलने वाली संस्था ने फंड की कमी का रोना भी रोया।
सरकारी गांधीवादी और मठाधीश गांधीवादियों के कारनामों पर क्या कहा जाए??
ये संस्थाएं गांधी के कार्यक्रमों-प्रयोगों को आगे बढ़ाने के बजाय ऐसे संगठनों-कार्यक्रमों की आयोजन स्थली में आखिर क्यों तब्दील होती जा रही हैं??
डॉ. लोहिया ने गांधीवादियों को 3 श्रेणियों में विभक्त करते हुए अपने को कुजात गांधीवादी की श्रेणी में रखा था। आज अगर लोहिया जीवित होते तो सरकारी व मठी गांधीवादी संस्थाओं के इन कारनामों पर क्या स्टैंड लेते??

देश
‘हम महज कश्मीर चाहते हैं, कश्मीरी तो हमारे लिए आतंकवादी हैं?’

बीते दिनों हमारे जवानों पर आतंकवादियों द्वारा किये गए कायराना हमले से पूरा देश स्तब्ध है, गुस्सा इतना की देश में हर जगह पाकिस्तान और आतंकवादियों के खिलाफ जुलूस निकला जा रहा है और अपने आक्रोश को लोग प्रदर्शित कर रहे हैं, जवानों को श्रधांजलि देने के लिए गली कुचों में भी आम आदमी द्वारा कैंडल मार्च निकला गया. ये दृश्य बताता है की हमारे देश में मानवता अभी मारा नहीं है भावनाएं आहात हुई हैं पर लोगों को अपने सरकार, संविधान और सेना पर पूरा भरोसा है उन्हें ये भी भरोसा है की इसका बदला जरूर लिया जायेगा.
वही दूसरी तरफ हमारे देश में कुछ चरमपंथी लोग भी हैं जो ऐसे मौकों के तलाश में रहते है जिससे वो अपनी राजनैतिक भूख को शांत कर सके चाहे उसमे उन्हें अपने लोगों को ही नुक्सान पहुचना पड़े. आतंकवादी हमलों के बाद देश के अलग अलग हिस्सों में देश का अभिन्न अंग कश्मीर के लोगों पर कुछ लोगों द्वारा हमले की खबर आम हो चली है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताविक देहरादून में कुछ चरमपंथियों ने कश्मीरी युवाओं पर हमला किया और उन्हें बुरी तरह मारा और पीटा गया, वही दूसरी तरफ बिहार के पटना में कश्मीरी दुकानदारों पर हमला कर उनके दुकानों को तोडा गया और उन्हें बिहार छोड़ने की धमकी भी दी गयी और सोशल मीडिया पर कश्मीरी युवाओं के खिलाफ जहर उगलते पोस्ट अचानक ही वायरल होते नज़र आने लगे.
इन्हें देख कर मन में सहसा एक विचार आया की इन्हीं चरमपंथियों द्वारा कश्मीर हमारा है का नारा लगाया जाता है और इनके द्वारा ही उनके वाशिंदों को पीट कर उन्हें वापस कश्मीर भेजा जाता है या भेजने के लिए वाध्य किया जाता है, तो क्या गलत है अगर कश्मीरी युवा देश के उन तमाम लोगों को अपने कश्मीर में आने न देना चाहे जो उन्हें देश का हिस्सा नहीं मानते, फिर हमें कोई हक़ नहीं है की उन्हें गुनाहगार माने अगर वो खुद को देश से अलग थलग समझने लगे.
कश्मीर में हुए हमले के लिए अगर कश्मीरी जिम्मेदार है और उन्हें मारा पीटा जाता है तो क्या गाँधी की हत्या एक ब्राहमण द्वारा किये जाने पर तमाम ब्राहमण समुदाय को गुनाहगार मनन जाये, गुजरात में हुए नरसंघार के कारन तमाम गुजरातियों को देश से वापस गुजरात भेज दिया जाए.
हमारी ये घृणित सोच हमारे देश के लिए ज्यादा खतरनाक है जो आये दिन अलगाववादी सोच और लोग पैदा कर रहे हैं.
जहाँ सोशल मीडिया पर एक तबका कश्मीरियों के विरोध में खड़ा हुआ वही कई ऐसे लोग भी है जो उनके मदद को सामने आये और देश के युवाओं से ऐसा न करने की अपील की. वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने कहा की अगर किसी भी कश्मीरी छात्र को किसी भी तरीके से परेशां किया जा रहा है तो वो मुझे कभी भी कॉल कर सकते हैं, मेरे घर और दिल के दरवाजे हमेशा आपके लिए खुले हैं.
Want to tell any Kashmiri student out there, if you are being targeted in any manner, feel free to call/DM me. My home and heart is open to you as are that of thousands of right thinking Indians.Let’s fight forces of violence together: you don’t have to bear the cross of terror.
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) February 16, 2019
उन्होंने कश्मीरी छात्रों पर हो रहे हमले को भी शर्मनाक बताया.
And a day after I tweeted this, reports coming of Kashmiri students being targeted. Utterly shameful and disgraceful. This is where the absurd jingoism being paraded on tv and beyond becomes fuel for manic majoritarianism. stop it for god sake. https://t.co/u2m9Gfj5Bc
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) February 16, 2019
देखते ही देखते कश्मीरी युवाओं के समर्थन में एक बड़ा तबका खड़ा हो गया और ट्विटर पर #KashmiriStudent ट्रेंड करने लगा. कई नामचीन लोग इसके समर्थन में आये.
In Delhi Our Doors are always open for innocent Kashmiries. Feel safe n protected. Feel like a home. Together we need to fight against all and any kind of terror.
Peace prevail.Keep united against such anti national forces who are imposing real threat to us.#KashmiriStudents— Alka Lamba (@LambaAlka) February 17, 2019
Have we gone insane? STOP these disgusting attacks on innocent #Kashmiris & #KashmiriStudents IMMEDIATELY. They are our family! Alert pro-active law enforcement pls! Lets not descend into anarchy & divisiveness but stand tall to defend India's best values #Pulwama
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) February 16, 2019
देश
बिहार रेल हादसा:- जोगबनी से दिल्ली जा रही सीमांचल एक्सप्रेस पटरी से उतरी अब तक 8 लोगों के मरने की खबर।

बिहार के वैशाली जिले में रविवार तड़के बड़ा रेल हादसा हो गया। जोगबनी से दिल्ली के आनंद विहार जा रही सीमांचल एक्सप्रेस सहदेई बुजुर्ग के पास पटरी से उतर गई। हादसे में अब तक आठ लोगों के मरने की सूचना मिली है, हालांकि रेल प्रशासन ने सात की मौत की पुष्टि की है। करीब दो दर्जन यात्री घायल बताए जा रहे हैं। दुर्घटना टूटी पटरी पर ट्रेन के गुजरने के कारण हुई। ऐसे में तोड़फोड़ की आशंका से इनकार नहीं किया सकता। ट्रेन में कुंभ स्नान के लिए जा रहे यात्रियों की भीड़ ज्यादा थी। दुर्घटना को लेकर रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं।
दुर्घटना के बाद राहत व बचाव कार्यों को लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल लगातार रेलवे बोर्ड के संपर्क में हैं। उन्होंने रेल यात्रियों की मौत पर संवेदना प्रकट की है। साथ ही घायलों के शीघ स्वस्थ होने की कामना की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस दुखद घटना को लेकर शोक प्रकट किया है।
मिली जानकारी के अनुसार ट्रेन तड़के 3.52 बजे मेहनर रोड से गुजरी थी। इसके बाद करीब 3.58 बजे सहदेई बुजुर्ग के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई। रेलवे के अनुसार दुर्घटना का कारण पटरी का टूटा होना था।
ट्रेन के 11 डिब्बों के पटरी से उतरने की खबर है। इनमें से तीन स्लीपर (एस-8, एस-9 और एस-10) हैं। एक जनरल कोच और एक एसी कोच (बी-3) भी पटरी से उतरे हैं। हादसे में एक डिब्बा पूरी तरह से पलट गया।
हादसे के बाद सहदेई बुजुर्ग स्टेशन पर एनडीआरएफ टीम पहुंची गई। क्रेन की मदद से ट्रेन के डिब्बों को काटकर यात्रियों को निकाला गया। सूचना मिलने पर वैशाली डीएम राजीव रौशन और एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों भी पहुंचे। हालांकि, राहत व बचाव में विलंब के कारण भड़के लोगों ने पथराव भी किया। सुरक्षा बलों ने मुश्किल से स्थिति को नियंत्रित किया। ,
मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख मुआवजा की घोषणा
रेल मंत्रालय ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा कर दी गई है। गंभीर घायलों को एक लाख तथा अन्य घायलों को 50 हजार रुपये के मुआवजे का ऐलान कर दिया गया है।
मरने वालों के बिहार व पश्चिम बंगाल के तीन-तीन की पहचान
मरने वालों में खगड़िया के तीन तथा पश्चिम बंगाल के तीन यात्रियों की पहचान कर ली गई है। मृतक सुदर्शन दास (60), इलचा देवी (66) और इंदिरा देवी (60) बिहार के खगड़िया के रहने वाले थे, जबकि शायदा खातून (40), अंसार आलम (19) और शमशुद्दीन आलम (26) पश्चिम बंगाल के रहने वाले थे। एक अन्य शव की पहचान अभी तक नहीं की जा सकी है।
इस बीच रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिए हैं। राहत बचाव कार्य के लिए सोनपुर और बरौनी से ART टीम को रवाना कर दिया गया है। हादसे के बाद बछवाड़ा-हाजीपुर सिंगल लाइन पर परिचालन रद कर दिया गया है।
दुर्घटना के संबंध में जानकारी लेने के लिए पूर्व मध्य रेल ने हेल्पलाईन नंबर जारी किए हैं। इन नंबरों पर फोन कर पीड़ितों के बारे जानकारी ली जा सकती है।
पटना- 06122202290, 06122202291, 06122202292, 06122213234
सोनपुर- 06158-221645
हाजीपुर- 06224-272230
बरौनी- 06279-23222
कटिहार- 9473198026
देश
आगरा में रेंगती नागरिकता, पुणे मे तेलतुम्बडे को लेकर चुप नागरिकता

अब आपको याद भी नहीं होगा कि प्रधानमंत्री की हत्या की कथित साज़िश में गिरफ्तार सुधा भारद्वाज जैसों के साथ क्या हो रहा होगा? मीडिया और राजनीति आपके सामने आतंकवाद के ख़तरे परोसते रहे। पहले बताया कि आतंकवाद के लिए एक खास धर्म के लोग ज़िम्मेदार हैं। एक दुश्मन का चेहरा दिखाया गया। फिर अचानक आपके ही बीच के लोगों को उसके नाम पर उठाया जाने लगा।
आनंद तेलतुम्बडे पुणे से मुंबई जा रहे थे ताकि अगली सुबह हाईकोर्ट में अपनी अग्रिम ज़मानत की याचिका दायर कर सके। पुणे की पुलिस भोर बेला में 3 बज कर 30 मिनट पर एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लेती है। सुबह होती है और उसी कोर्ट में बहस होती है जिसने एक दिन पहले आनंद की अग्रिम ज़मानत याचिका रद्द कर दी थी। आनंद के वकील कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी को आदेश दिया था कि 11 फरवरी तक आनंद की गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। इसके बाद भी पुणे की पुलिस गिरफ्तार कर लेती है। आनंद के वकील कहते हैं कि यह गिरफ्तारी अवैध है। कोर्ट ज़मानत दे देती है। आनंद तेलतुम्बडे बाहर आ जाते हैं।
आख़िर एक पुलिस अवैध तरीके से काम करने के लिए क्यों उतावली है? प्रोफेसर अपूर्वानंद ने ठीक लिखा है कि क्या यह उद्वेलित करने वाली बात नहीं है। क्या आनंद आतंकवादी हैं? हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस की खबर याद कीजिए। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर ने गौतम नवलखा के मामले में संरक्षण देने का फैसला दिया तो सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम में उनके तबादले की दो-दो बार कोशिश हुई मगर कुछ जजों के एतराज़ से टल गया। क्या आप वाकई ऐसा भारत चाहते हैं जहां इस तरह की ख़बरों से आप सामान्य होने लग जाएं?
आनंद तेलतुम्बडे पर भीमा कोरेगांव की रैली के बाद हुई हिंसा और प्रधानमंत्री मोदी की कथित हत्या की साज़िश का आरोप है। इसी आरोप में सुधा भारद्वाज गिरफ्तार हैं।गौतम नवलखा आरोपी हैं।आनंद तेलतुम्बडे तो भीमा कोरेगांव की सभा में गए भी नहीं थे। बल्कि दि वायर में लिखा था कि ऐसे आयोजनों की वैचारिक दिक्कतें क्या हैं। दक्षिणपंथी नेता संभाजी भिडे और मिलिंद एकबोटे पर भी इसी मामले में हिंसा भड़काने के कथित आरोप लगे थे मगर इन दोनों को बिना पूछताछ के बरी कर दिया गया।
प्रोफेसर आनन्द तेलतुम्बडे आई आई एम अहमदाबाद के छात्र रहे हैं। आई आई टी खड़गपुर में प्रोफेसर रहे हैं। पेट्रोनेट इंडिया के सीईओ रहे हैं। गोवा इन्स्टिट्यूट आफ मैनेजमेण्ट में ‘बिग डाटा एनालिटिक्स’ के विभाग प्रमुख हैं। आनंद ने 26 किताबें लिखी हैं। उनके पक्ष में आई आई टी खड़गपुर के 120 से अधिक छात्रों और प्रोफेसरों ने पत्र लिखा है। आई आई एम अहमदाबाद और आई आई एम बंगलुरू के प्रोफेसरों और छात्रों ने लिखा है।
कानून अपना काम करेगा की आड़ में फर्ज़ी केस में फंसाना कौन सी बड़ी बात है। मगर यह खेल इतना बढ़ जाए कि जहां नागरिक मात्र प्यादा बन कर रह जाए तो ऐसी स्थिति को मंज़ूरी देने से पहले क्या आपने ठीक से सोच लिया है?
गांधी के पोस्टर पर बंदूक चला कर फिर से मारने का अभ्यास करने और उनकी हत्या के बाद जश्न का सुख प्राप्त करने वालों को पुलिस पकड़ नहीं पाई। मगर राज्य की नीतियों की आलोचना करना, समीक्षा करना, अलग राजनीतिक राय रखना अब आपको आतंकवादी, भारत विरोधी बनाने के लिए काफी है। दि प्रिंट की उस ख़बर को भी आपने अनदेखा कर दिया होगा कि खुफिया विभाग ने रिपोर्ट तैयार की है कि अशोका यूनिवर्सिटी, जिन्दल यूनिवर्सिटी और अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में मोदी विरोधी बातें होती हैं।
क्या आपने ऐसी ही भारत चाहा था? क्या आप वाकई चाहते थे कि क्लास रूप में खुफिया विभाग के कैमरे लगे हों? मैं समझ सकता हूं कि आपमें विरोध करने की शक्ति नहीं होगी। आपको डर लगता होगा। कहीं आपको पुलिस न उठा ले। ट्रोल सेना आप पर हमला न कर दे। मैं समझ सकता हूं कि आप इन बातों के विरोध और अपने प्रिय नेता के प्रति आंख बंद कर समर्थन में फर्क नहीं कर पा रहे हैं।
मैं अब भी यकीन करना चाहूं कि भारत के लोगों को अपने नागरिक होने के अधिकार से बहुत प्यार होगा। यह नागरिकता किसी देवी देवता से नहीं मिलती है। संविधान से मिलती है। फिर भी जब नागरिकों को इस तरह दुर्बलतम स्थिति में देखता हूं तो दुख होता है। आपका चुप रहना एक एक कर आपको उन अधिकारों से अलग करता जाता है जिसे संविधान ने दिया है। आप ख़ुद को संविधानविहीन बनाते जा रहे हैं।
आगरा के आलू किसानों ने अपनी एक तस्वीर भेजी है। वे अपनी हालत पर जनता और सरकार की नज़र चाहते हैं। यह दृश्य हम सभी की नागरिकता की हार है। क्या राज्य की क्रूरता के प्रति आपका समर्थन इस कदर बढ़ चुका है कि आप अपनी नागरिकता ही दांव पर लगा देना चाहते हैं? क्या आप रेंगना चाहते हैं?
साभार रविश कुमार के फेसबुक पेज से
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